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लेखनी प्रतियोगिता -15-Feb-2023 रिश्ता

गजल 


मुहब्बत के बाजार में दिलों का मेला लगा है 
हसीन से चेहरों ने न जाने कितनों को ठगा है 

निगाहों से दावतें देकर दिल लूटना आता है इन्हें 
मतलब के महबूब हैं इनके लिए न कोई सगा है 

लबों के जाम में घोल पिलाते हैं मस्ती की मदिरा 
इश्क की नींद में गाफिल हैं सब न कोई जगा है 

हुस्न का जाल बिछाकर छीन लेते हैं चैनो सुकून 
बदले में आशिकों को देते बेवफाई का तमगा है 

हुस्ने सितम सहते रहे ताजिंदगी सच्चे आशिक 
वो दिलवाला ही क्या है जो इस पथ से डिगा है 

श्री हरि 
15.2.23 


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8 Comments

Radhika

02-Mar-2023 09:32 PM

Osm

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Hari Shanker Goyal "Hari"

03-Mar-2023 09:23 AM

💐💐🙏🙏

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बहुत खूब

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Gunjan Kamal

16-Feb-2023 08:24 AM

बहुत खूब

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